उम्मीद
इस छोटे से शब्द से कितना कुछ जुड़ा होता है
ख्वाब बेहिसाब
मजीलें ख्वाहिशों के काफ़िले
खुशियां मुस्कुराती दुनियां
अगर उम्मीद हो खुद से तो
मायने ही बदल जाते है जब
उम्मीद को किसी और से
फिर इस शब्द से जुड़ जाती है
तन्हाई, गम की परछाई
रोती आंखे की बरसाते,
अधूरी और इंतजार में बिलखती मुलाकातें
दर्द ,जुदाई खुशियों की होती फिर विदाई
-Kavya Soni