*हम हमेशा यही चर्चा करते हैं और*
*सोचते हैं कि इनसानीयत है कि नहीं*
*लेकिन कभी यह नहीं सोचा*
*कि हम इंसान भी हैं या नहीं*
*छाते की तरह हो गये है रिश्ते*
*ज़रुरत के मुताबिक खोले*
*और बंद किये जाते हैं*
*दिखावे का जीवन जिना*
*बहुत कष्टदायक होता है*
*वास्तविकता कुछ और होती है और*
*वो कुछ और दिखाना चाहता है*
*भ्रम हमेशा रिश्तों को बिखेरता है*
*प्रेम से अजनबी भी बंध जाते हैं*
*सुख पाने के लिए इच्छाओं की कतार*
*लगाएं या आशाओं के अम्बार*
*परंतु सुख का ताला केवल*
*संतुष्टि की चाबी से ही खुलता है*
🌹 *गुड मॉर्निंग
-SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》