खो गए सब शब्द मेरे
जब कलम ने चलना शुरू किया
कभी खोया ममता में
कभी खोया प्यार में
कभी खोया प्रकृति में
कभी खोया चाँद में
बस जब आयी हाथ मे कलम
शब्द निकलते गए
बन गई कविता
बन गई कहानियां
तो कभी बन गई शायरी
विचारों की श्रृंखला को
कंदारने में शब्द बने श्रृंगार
-Shree...Ripal Vyas