छोटे छोटे शबद पिरोई एक माला जोगी। देहु माई अंबा के चढ़ाई न घटाई ई।
एक एक शबद में मर्म हज़ार सौ लौ।
एक ही श्बादवा से होते है लड़ाई जी।
शबद है बांके , हैं बाके वाके लेखन वारे।
शबद से सबरी श्री राम को बुलाई री।
शबद को जान याके मरम को मान प्यारे।
शबद सरीखे ही दुनिया में है मिताई जी।
-Anand Tripathi