एक अलग दुनिया हैं ऐ ...................................................
उसने इंतज़ार कराते - कराते शाम ही कर दी,
ख्यालों की दुनिया वीरान ही कर दी,
हर दिन नए - नए बहाने बनाने की ट्रेनिंग की है उसने,
हम बचाते रहे उसका नाम लहरों से,
उसने हमारे ही नाम पर कदमों की छाप छोड़ दी.........................................
रोज़ाना का दस्तूर है, उसकी आदत मेरी किस्मत हैं,
ख्वाब में सजी दीवार कब तक बरकरार रहेगी,
कभी ख्वाब बदल जाएगा या फिर नींद टूट जाएगी,
हक़ीकत पता है हमें फिर भी वहम में जी रहे है,
कैसे शुरूआत करें यही सोच रहे है..................................................
स्वरचित
राशी शर्मा