चल पडे़ थे मेरे कदम
इजहार ऐ इश्क करने को
औरों के साथ तुम्हें देखकर
मासुम लौटकर चले आये
मासुमों ने उस वक्त
लौटना हि बेहतर समझा
क्यों के अरमान बनकर आंसु
आंखो से छलक आये
किस्मत का लिखा समझकर
दिल कचोटकर रह जाते है
फिर टुटकर बीखर जाने के
अहसास से हि अब डरते है
स्वरचित
गजेन्द्र गोविंदराव कूडमाते