{आजकल}
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मैं खूद को नहीं पहचान रही हूँ आजकल
जितनी गुस्सैल थी ही नहीं कभी
उतनी हो गई हूँ आजकल
मैं बहुत ही नादान थी पेहले
बस , उतनी ही समझदार हो गई हूँ आजकल
अब तो मेरा परिवार भी कह रहा है कि,
सच में तुम बदल गई हो आजकल
मैं खूद के सिवा अब किसी से भी उम्मीद नहीं रखती हूँ,
बस यही वजह मेरे बदलने की आजकल ...!!
-Pari Boricha