जमीन पर बैठ परिंदा आसमान को देख रहा
उड़ने के ख्वाबों को अपने दिल में समेट रहा
नजरें उसकी लक्ष्य पर सपनों के तीरों से
अपने लक्ष्य को भेद रहा
जमीन पर बैठा परिंदा आसमान को देख रहा
उड़ने से वह डरता है खतरों से वह बचता है
कोई घायल ना कर दे उसे इसलिए
अपने घोंसले से बाहर नहीं निकलता है
खयाली खिचड़ी खा कर यू लंबी-लंबी फेंक रहा
जमीन पर बैठ परिंदा आसमान को देख रहा
कोई बता दे उसे है उसमें भी हौसला
खोल दे अपने पंखों को छोड़ दे अपना घोंसला
पाएगा अपनी मंजिलें क्यों बैठा बैठा सोच रहा
जमीन पर बैठा परिंदा आसमान को देख रहा
यदि पानी है अपनी मंजिलें और सच करने हैं अपने ख्वाब
तो छोड़ बहाने दुनिया के मेहनत कीजिए जनाब
सफलता का यह संदेश उसके दिमाग में बैठ गया
आज जमीन को छोड़ परिंदा आसमान में उड़ गया
पाली उसने अपनी मंजिलें सच हुए उसके ख्वाब
यूं बैठकर सोचने से कुछ नहीं होगा
उठिए चलिए और अपने कर्म कीजिए जनाब।