विषय - मेरा पहला प्यार
दिनांक -07/05/2023
आए हो जबसे जीवन में,
खुद को मैनें पहचाना है।
मेरे अंदर की खूबियों को,
सिर्फ तुमने ही तो जाना है।।
अवसादों से जब घिरी हुई थी,
प्रेरणा बनकर तुम आए थे।
फिर से मेरे मन के उपवन में,
उम्मीदों के दीप जलाए थे।।
घोर अंधकार से जब गुजर रहे थे,
तुमने प्रकाश पुंज दिखाया था।
मेरे अंतर्मन के एक कोने में,
आशा का एक दीप जगाया था।।
प्रेम , स्नेह और अपनेपन से,
जिंदगी जीने का सबक सिखाया था।
जो हम भटके बीच राह में तो,
डांट डपटकर सदमार्ग दिखाया था।।
ऐसे निश्छल निस्वार्थ प्रेम को,
मैं शब्दों में व्यक्त कैसे करूं।
रहें सलामत और खुश वह तो,
ईश्वर से मैं यही कामना करूं।।
अपने गहरे प्रेम की परिभाषा,
कम शब्दों में उन्होंने समझाई थी।
उचित अनुचित का बोध कराकर,
हृदय में खास जगह बनाई थी।।
मेरे जीवन का पहला और आखिरी,
प्रेम और समर्पण सिर्फ तुम ही हो।
तुम मिलो या न मिलो कभी भी,
पर अंतिम सफर तक सिर्फ तुम ही हो।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री