Gujarati Quote in Poem by Shree...Ripal Vyas

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मेरी सहेली
मेरी सहेली ऐसी है कि वहां मुझे कोई औपचारिकता नही करनी पड़ती...
मेरी सहियर वो जगा है की वहां मुझे मुह खोलना नही पड़ता वह अपने आप ही समझ जाती है...
मेरी दोस्त की वहां मुझे कोई प्रश्न का उत्तर
नही देना पड़ता ओर फिर भी मुझ पर बहोत प्यार रखती है...
मेरी मित्र की वहां में जैसी हूं वैसी मुझे पसंद करती है...
मेरी भीरु की क्या बात करूं मेरी मौन की भाषा का अनर्थ न निकाल कर मुझे समझने की कोशिश करती है...
मेरी सखी वो चीज है कि वहां मुझे मेरा दिल खोलना नही पड़ता वो खुद उलेक कर दिल को हलका फूल जैसा बना देती है...
ऐसा है हमारा दोस्ताना जो बिना कोई अपेक्षा रखे मुझे स्नेह तंतु से बांधकर रखती है...
-Shree...Ripal Vyas

Gujarati Poem by Shree...Ripal Vyas : 111874221
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