दूर तेरा गाँव
और थके पाँव
फिर भी तू हरदम
आगे बढ़ा क़दम
रुकना तेरा काम नहीं
चलना तेरी शान
चल-चल रे नौजवान
चल-चल रे नौजवान
तू आगे बढ़े जा
आफ़त से लड़े जा
आँधी हो या तूफ़ान
फटता हो आसमान
रुकना तेरा काम नहीं
चलना तेरी शान
चल-चल रे नौजवान
चल-चल रे नौजवान
ये है ज़िन्दगी का कारवाँ
आज यहाँ और कल वहाँ
(फिर क्यों तेरा दिल हुआ अधीर
फिर क्यों तेरे नैनों में नीर) – 2
फिर क्यों तेरे प्राणों में पीर
तू न सुना मन की बात कौन सुनेगा
कौन सुनेगा
बन्द कर ज़बान
बन्द कर ज़बान
रुकना तेरा काम नहीं
चलना तेरी शान
चल-चल रे नौजवान
चल-चल रे नौजवान
चल-चल रे नौजवान
कवि श्री प्रदीप जी 🙏🏻