एक हसीना
उनको भूला नहीं पा रहे,
जबसे उनको देखा हैं।
हुस्न उनका देखकर,
अपनी आंखों को सेंका हैं।।
अदायें भी बड़ी गजब की,
दिल को मेरे चीर गईं।
बेताबी इन धड़कनों को,
तीव्र गति से बढ़ गई।।
होश न रहा अपने होने का,
ये कैसा जादू था उसका।
हर तरफ ही वही दिखे,
जैसे करा हो कोई टोटका।।
उसको देखने की तलब में,
घंटों घर के आस पास घूमूं।
एक झलक जो दिख जाए,
फिर अपनी किस्मत को चुमूं।।
एक बार वह सामने से,
मुझसे आकर टकरा जाए।
हाले दिल अपना बता दूं,
और धीरे से वो शर्मा जाए।।
उसकी शर्म हया देखकर,
दिल जोरों से धड़केगा।
रह नहीं सकते तुम्हारे बिन,
ये दिल उससे कह देगा।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री