हम तुम
निंदिया रानी ख्वाबों में आकर,
सारे सपनों को सजा जाना।
कुछ रह जाएं सपने अधूरे तो,
उन्हें ख्वाबों में दिखा जाना।।
अपने प्रियतम को लेकर,
पलकों में ख्वाब सजाए थे।
हरदम रहेगा साथ मेरे वो,
यही उम्मीद उससे लगाए थे।।
साथ में रंग बिरंगे सपने,
दोनों मिलकर देख रहे थे।
उन सपनों को पूरा करने के,
प्रयत्न दोनों ही कर रहे थे।।
एक दूजे के सानिध्य को,
जीवन भर पाना चाहते थे।
आशीष लेकर अपनों का,
रिश्ता बनाना चाहते थे।।
साथ जीने और मरने के,
कसमें वादे हम खा रहे थे।
हकीकत में एक न हुए तो,
सपनों में ही पास आ रहे थे।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री