विषय - विवाह
दिनांक -21/02/23
दो अजनबी विवाह बंधन में,
खामोशी से बंध रहे थे।
अपने परिवार की मर्जी से,
एक दूसरे से जुड़ रहे थे।।
कभी नहीं की आपस में बात,
एक दूसरे से अंजान थे।
बिना मिले और बिना देखे ही,
एक दूसरे से संज्ञान थे।।
पसंद नापसंद बिना जाने ही,
विवाह बंधन में बंध रहे थे।
गुण दोष को जाने बिना ही,
परिवार के लिए सज रहे थे।।
माता पिता की पारखी नजरों पर,
पूर्ण विश्वास हमनें दिखाया था।
बुरा कभी भी होने नहीं देंगे,
यह विश्वास उन्होंने दिलाया था।।
उनके मान सम्मान के लिए,
सहर्ष ये रिश्ता स्वीकारा था।
निभायेंगे हम पूर्ण निष्ठा से ,
ये वचन उन्हें दे डाला था।।
इस पवित्र रिश्ते को हम दोनों,
आजीवन दिल से निभायेंगे।
खट्टे और मीठे अनुभवों से,
जिंदगी का लुफ्त उठायेंगे।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री