ऑ कोरोना के रखवाले
सुन हम दुःखीओ के नाले
जीवन मौत के दो रंगों से दुनिया तू ने बनाई
नैया संग तूफ़ान बनाया, जीवन के साथ मौत
जा देख लिया हरजाई
तुट गई मेरे जीवन की नैया,अब तो नीर बंध कर ले
आग बनी प्रेम की बरखा, सहवास बने अंगारे
दर्द बन गई रात सुहानी, दवाई बन गई दुर्लभ
सब टूट चूके हैं सहारे
कोरोना अपना वापस ले ले, कोरोना देने वाले
होस्पीटल को ढूंढें बेबस दर्दी, दवाई को ढूंढें स्वजनो
मैं भी ढूंढूं उस दवाई को, जो मील न सका भर बाजार
कोरोना बूरा हो तेरा
किस्मत फूटी आस ना टूटी, दिल में पड़ गए छाले
घर उदास और शेरियां सुनी, चुप-चुप हैं कोने कोने
दिल क्या उजड़ा, दुनिया उजड़ी, रूठ गयी हैं बहारें
हम जीवन कैसे गुज़ारें
आदमी मरता फिर उठ ना पाता, किसको कौन संभाले
ऑ कोरोना के रखवाले
सुन हम दुःखीओ के नाले