बीती बातों को भूलकर कुछ
अंदरूनी ख्वाबो और ख्यालो मे उलझी हूँ,
आज कल मे खुद मे ज्यादा अच्छा महसूस करती हूँ..
बंद आँखों के आलावा खुली आँखों से भी
ख्वाब देखना चाहती हूँ,
अभी बिखरी हूँ बिखरी कुछ पल समेटना
चाहती हूँ,
मजबूर हूँ कुछ अपनी आदतों कि वजह से
कुछ अच्छे संस्कारो से
वरना सबक सिखाना तो हमें भी आता है,
कभी मिलना है मुझे अपने आप से
पूछना है ज़िंदगी से क्या
तुम भी मेरी तरह थक चुकी हो ?
अब ना रही किसी से कोई शिकायत
और ना रही किसी कि आदत ,
खूबसूरत है अकेली ज़िंदगी हमने देखा है
लोगों को रंग बदलते हुए,
बस बहना है आज से लेकर कल तक
बिना किसी रुकावट के,
जाना है उसी किनारों से जिनसे
मुलाकात का अभी वादा है ,
कुछ हादसों से उभारकर
अपने आप मे खुश रहना चाहती हूँ ,
क्यूँ कि आज कल मे खुद मे ज्यादा अच्छा महसूस करती हूँ....
Piya 🖤