पत्नी का संसार पति से है ।जब पति अपनी पत्नी को सम्मान देता है तो वह स्त्री पूरे परिवार की प्यारी चहेती बन जाती है। पर जब पति ही पत्नी की उपेक्षा करने लगे ,उसे बात बात पर डाँटने लगे ,सबके सामने उसका अपमान करने लगे , उसके हर काम में गलती निकालने लगे और उसके सामने दूसरी औरतों की तारीफ करे उनसे उनकी तुलना करने लगे तो फिर उस स्त्री घर परिवार में कोई स्थान नहीं मिलता। परिवार के सदस्यों की उसके प्रति सहानुभूति तो हो सकती है पर उनकी नज़र में वो सम्मानित नहीं हो सकती ।जैसे शाख से गिरे पत्ते, सिर से झडे़ बाल और उँगलियों से कटे नाखून फिर से अपने स्थान से जुड़ नहीं सकते वैसे ही पति की नजरों और मन से जब पत्नी गिर जाती है उतर जाती है तो फिर उसे कभी अपने पति के दिल में नजरों में जीवन में पहले जैसा स्थान नहीं मिल सकता चाहे पत्नी निर्दोष भी हो तब भी।