ना चाहते हुए भी दास्तान ए इश्क बया करू,
तेरा जिक्र क्यों में सरेआम करू?
उस रब का शुक्रिया अदा करू या फिर तेरे हिज्र की फ़रियाद करू?
ये राज़ क्यों सरेआम जाहेर करू?
मेरी रूह का हिस्सा बन गया है, या फिर कहानी का कोई किस्सा करू?
सोचती हूं उसके हवाले कर ये दास्तान, खुदा की नेक बंदगी करू।
Darshana Radhe Radhe