केवल तुम्हारा आभाष ही ध्यान आकर्षित करता है |
उस अवस्था में शब्दों की निम्मता भी उच्चता में परिवर्तित
हो जाती है मगर ! आभाष की स्थिरता और विश्वास की दृढ़ता तुम्हें अंतर में देनी होगी , बाहरी व्यवहार में शुद्धता भी तभी संभव है |
नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌹