एक एक अश्क से बह रही हूँ हर उस लम्हें मे जिसने तुम्हें याद किया है,
वो हर एक पल ना गुजरा अब तुम्हारे याद के बिना, एक लकीर से जुड़ चुके है हम अब ना मंजूर है मुझे किसी के हाथो कि लकीर बनना,
कुछ फासले है इस दौरान क्या तुम तोड़कर आ जाओगे , कुछ ना खो कर हमें पाने कि आस मे जिओगे , अपनी वफा से पिरोई मोतियों कि माला पेहनाओगे क्या ,
बोलो एक दूधिया चाँद का टुकड़ा तुम मेरे लिए भी लाओगे क्या ,
उसे अपने माथे सजाना है तुम इजाजत दोगे क्या ?
हवा कि तरह हूँ मे जितना छू लोगे उतना फिसलू फिर भी तुम पास आओगे क्या .......?🖤
-Piya