आंखो में चुभ गई तिरी यादों की किर्चियॅा
कॅाधो पे गम की शान है और चॅाद रात है
दिल तोंड के खामोश नजारॅो का क्या मिला
शबनम का ये सवाल है और चॅाद रात है
कैम्पस की नहर पर है तिरा हाथ हाथ में
मोसम भी ला-जवाब है और चॅाद रात है
हर इक कली ने ओढ लिया मातीमोल लिंबास
हर फूल पुर-मलाल है और चॅाद रात है
छलका सा पड रहा है ‘वसी’ वहशतों का रंग है
हर चीज पे जवाल है और चॅाद रात है
……. वसी शायरी