विषय- एहसास
दिनांक -05/01/2023
हम दोनों का जब तक साथ था,
खुलकर हंसते और मुस्कुराते थे।
अपनी अपनी दिल की बातों से,
एक दूसरे के चेहरे पर हंसी लाते थे।।
हम दोनों एक दूसरे के लिए,
बहुत ही जरूरी हो गए थे।
खोकर एक दूजे में हम तो,
एक दूसरे के बस हो गए थे।।
न हो अगर बातें मुलाकातें,
कुछ अधूरा सा रह जाता था।
मन विचलित सा होकर के,
मिलने को मचल जाता था।।
उसकी यादों का सहारा ही अब,
जीने की वजह मेरी बन गया है।
यादें उसकी सहेजकर अब तो,
रिश्ता गहरा यहीं थम गया है।।
किरन झा (मिश्री)
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री