चलो आज कुछ पुरानी यादों को फिर सजा लेते हैं,
लम्हे थे हसीन जिंदगी के जो वो फिर जी लेते हैं.!
भागदोड़ भरी जिममेदारियो वाली उमर में है,
फिर से नादानी भरा प्यारा सा बचपन जी लेते हैं.!
याद है वो दिन जब सुबह सुबह मां हमें जगाती थी,
स्कूल के लिए तैयार करके, मुह पकड़ के बाल बनाती थे!
नास्ता और बैग भरके, सर एक काला टीका लगाती थी,
इसी तरह रोज प्यार से, हमें बुरी नजर से बचाती थी!
रोज पापा का उंगली पकड़ के स्कूल छोड़ने आना,
स्कूल में लम्बे गुड मॉर्निंग से टीचर का स्वागत करना.!
नए दोस्त बनाना, बात करें या मस्ती करना
पढाई करके, लंचबॉक्स शेयर करके फिर घर आना.!
मां और पापा का प्यार तो आज भी ऐसा ही है,
बस वो शरारत और मासूमियत भरा बचपन फिर से चाहिए.!
-Krunal Soni