तू भी आज़मा लें..............................
ऐ ज़िन्दगी तू भी आज़मा लें,
मेरी तो है सज़ा पर तू मज़ा लें,
सभी के साथ ही तो तूने ऐ ही किया है,
रूलाया, तड़पाया और ठोकर मारी,
फिर उसे उसी के हाल पर छोड़ दिया है........................
गिरेगें, थकेगें, टूटेगें और फिर गुम जाएगा,
ना तुझे याद रहेगें और ना ही किसी को याद आएंगें,
वादा है तुझसे हमारा फिर भी ज़िंदा रहेगें,
तेरी आज़माइश पर यूँ ही हाज़िरी लगाते रहेगें....................
तू आज़माता तो है मगर हिम्मत नहीं देता,
और वो किसी को हिम्मत से ज़्यादा सहने नहीं देता,
जानता है तू कि तेरे दीवानों की कमी नहीं है,
तुझे भी दाद देनी पड़ेगी,
तेरी आज़माइश में रत्ती भर भी कमी नहीं हैं .....................
स्वरचित
राशी शर्मा