"चिड़िया नाल मैं बाज लड़ावां,
गीदड़ां नू मैं शेर बणावां,
सवा लाख ते एक लड़ावां,
तां गोबिंदसिंह नाम धरावां ।"
हिन्दी
"चिड़ियोसे मै बाज लड़ाऊं,
गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ
सवा लाख से एक लड़ाऊं,
तभी गोबिंदसिंह नाम कहाउँ”।
-गुरु गोबिंदसिंहजी
कल्पना कीजिए उस आत्मविश्वास की जो एक चिडिया को बाज से लड़ा सकता है, उस विश्वास की जो गीदड़ को शेर बना सकता है, उस भरोसे की जिसमें एक अकेला सवा लाख से जीत सकता है। और हम सभी जानते हैं कि गुरु गोबिंदसिंहजी ने जो कहा वो करके भी दिखाया।