*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*अंत,अनंत,आकाश,अवनि,अचल*
1अंत
अंत भला तो सब भला, सुखमय आती नींद।
शुभारंभ कर ध्यान से, सफल रहे उम्मीद ।।
2 अनंत
श्रम अनंत आकाश है, उड़ने भर की देर।
जिसने पर फैला रखे, वही समय का शेर।।
3 आकाश
परिंदे उड़ आकाश में, नापें सकल जहान।
मानव अब पीछे नहीं, भरने लगा उड़ान।।
4 अवनि
अवनि प्रकृति अंबर मिला, प्रभु का आशीर्वाद।
धर्म समझ कर कर्म कर, मत चिंता को लाद।।
5 अचल
अचल रही है यह धरा, आते जाते लोग।
अर्थी पर सब लेटते, सिर्फ करें उपभोग।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "