આવું ન કરો ક્યારેય!.... 🙏🏿
र्स्वग मेँ सेँ लडकी ने अपनी माँ को लिखा पत्र...!!
मेरी प्यारी मम्मी...तु अब दवाखाने से घर आ गई होगी..?
तेरी तबियत की मुझे चिँता होती है..अब तेरी तबियत अच्छी होगी ..?
प्यारी मम्मी तेरी कोख मे मेरा अंश रहा
तब से मुझे वात्सल्य से उभरता माँका चेहरा देखना है...
मम्मी मेरे गाल पर तेरी एक प्यार भरी चुम्मी के लिए तरसती हु.
मुझे मेरी जननी के हाथ मेँ फ़ूल होकर खिलना था...
मुझे मेरी मम्मी के हाथ से मार खाकर रोना था.....
मम्मी, मुझे तेरे आगंन मेँ पाँव रखना था
और अपना घर खिल खिलाट से भरना था....
और मम्मी, मुझे तेरी लोरी सुनते-सुनते सोने कि तरस थी.....
कुदरत ने मुझे लडका बनाया होता तो कोई प्रोब्लम नही होती..
मम्मी, लेकिन तुझे कुदरत का न्याय मंजुर नही था.
तुझे तो लडके कि भुख थी.
तुझे तो केवल मात्र संतान से गोद नही भरनी थी..
तेरे तो भविष्य मेँ कमाऊ लडके कि सपंति से घर भर देना था..
मम्मी, तुझे तो मिलकत का वारिस उगाना था..
और बुढापे मेँ माँ बेटा-बहु का प्रेम, सेवा और
दु:ख मेँ आँसु पूंछने का सहारा चाहिए था.
तुझे मेरी काली भाषा सुनना पसंद ही नही थी..
इसिलिए मम्मी तुने दवाखाने जाकर मुझ से छुटकारा पा लिया...
मम्मी, जब डाँक्टर कैँची से फुल जेसी बेटी को कुचल रहा था..
मेरे शरीर के एक के बाद एक अगं काटकर अलग रख रहा था..
मुझे लग रहा था कि अब माँ को दया आयेगी लेकिन
तुझे दया नही आयी...
तुझे तो दया नही आयी मम्मी! लेकिन भगवान को तो दया आयी.
डाक्टर के तेज धार कि कैँची से मेरा कलेजा फट गया
और भगवान ने मुजे अपने पास बुला लिया.....
मम्मी, तु खुद लडकी है, तो यह बात कैसे भुल गई ?
चलो वो तो सब ठीक है, लेकिन तेरे पेट मे हि मेरी कब्र बना दी
तुजे जरा भी दया नहि आयी ?
चिँता मत कर मम्मी, अब जब मेरा भाई जन्म ले तब
इस लडकी कि याद दिलाना...
अरे हा ! रक्षाबंधन के दिन मुजे याद कर के भाई को मेरा आशिर्वाद देना...!!
From: સવદાનજી મકવાણા (કોપી પેસ્ટ )
મૂળ લેખક : ચંદ્રપ્રકાશ મિત્તલ