Hindi Quote in Poem by Mukesh Dusad

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महलों का सुख त्याग दिया दशरथ पुत्र राम ने
किया अपने वचन को पूरा बिना किसी शक्ति के अभिमान में
14 वर्ष वनवास गए छोड़ मां कोशल्या रोए पुत्र विलाप में
वर्षों तक तरस गई आंखे देखे पुत्र मिलाप में
सीता भी चली गई छोड़ सब कुछ वनवास को
न छोड़ सके लक्ष्मण अकेले भाई राम को
चल दिए महलों का सुख छोड़ वनवास को
विष्णु के 7वे अवतार जाने सब राम को
अपने परिवार को माने ध्यान रखे संसार को
सब कुछ रहकर भी अपने पिता का कहना माना
वनवास में रह कर सभी दुखों को सहना माना
रावण ने छल से देवी सीता का किया हरण
जान ये राम भाई लक्ष्मण को न रहा गया तनिक भी क्षण
हुआ युद्ध देवी सीता को कैसे छुड़ाए
राम का संदेशा ले कर सीता तक कैसे जाए
आया नाम पवन पुत्र हनुमान का
जिन्हे ध्यान न था अपने शक्ति के वरदान का
हुए युद्ध में मूर्छित हुए भाई लक्ष्मण
देख ये स्थिति भयभीत हुए सबके मन
भाई को बचाने कौन इतनी दूर जाएगा
कौन कहां से संजवानी बूटी लाएगा
आया नाम हनुमान का जो इस काम को सबसे पहले कर दे
जो अपनी शक्ति से सबके दुखों को क्षण भर में हर दे ।
भाई ठीक हुए फिर से शुरू हुआ युद्ध अपने शक्ति का
सीता जी को ले आए दिखा के अपने भक्ति का
हुआ वनवास पूरा आ गए सब अपने नगर को
दीपों से स्वर्ग सा सजा अयोध्या सब घर - घर को
दिया नाम दीपवाली का जिसमें दिखा त्याग बलिदान प्रेम और ममता का
दिखा वाल्मीकि के ज्ञान के लिखने के क्षमता का
महलों का सुख त्याग दिया दशरथ पुत्र राम ने
किया अपने वचन को पूरा बिना किसी शक्ति के अभिमान में
धन्यवाद
...✍️मुकेश दुसाध
#HappyDiwali

Hindi Poem by Mukesh Dusad : 111839880
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