लफ़्ज़ों की कीमत बहुत है,
उन्हें यु ही जाया ना किया कर
अहमियत है तेरे आत्मसम्मान की
यूँ ही किसी के लिए समझौता ना कर
जब कोई सुनना ना चाहे
तो वक्त बेवक्त बड़बड़ाया ना कर
कदर ना हो किसी को तेरी उसके कारण खुद को बदला ना कर
दुनिया से सबको जाना हैं
अपने शख्सियत की बेकदरी ना कर
कभी कभी दुःख इतना विशाल हो जाता है कि आंसुओ से उसका खंडन नही होता, बस किसी प्रिय का आलिंगन कर मर जाने की इच्छा पनपती है...!!!
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-किरन झा मिश्री