जब भी परिवर्तन की खातिर
कोई अलख जगाता है।
घोर घने अंधियारे में
जब कोई दीप जलाता है
मंजधारे में डूबती नैया
जब कोई पार लगाता है
तब अदना सा वो इंसान मसीहा बन जाता है
क्या दरकार उसे थी तीन तलाक़ हटाने थी
हलाला प्रेमी मौलानाओं के खिलाफ जाने की
क्या क्य भुगता क्या क्या गुजरी ये पूछो उस नारी से
तीन तलाक़ और हलाला झेली उस बेचारी से
घोर घनेरे अंधियारे में जब कोई दीप जलाता है
मझधार में डूबती नैया जब कोई पार लगाता है
तब अदना सा वह इंसान मसीहा बन जाता है
मैं क्या बोलूं क्या बतलाऊ
जिसने किया जीवन समर्पित देश की खातिर
मां बहन पत्नी और भाई छोड़ा देश की खातिर
क्या समझेंगे क्या जानेंगे ये पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता भोगने वाले ये सत्ता के लोलुप नेता देश जलाने वाले,
भोली भाली जनता को भड़काने वाले,
मैं ना कार्य कर्ता भाजपा की ना आलोचक कांग्रेस की,
मैं एक नारी सीधी साधी घर बार चलाने वाली।