संतों की कहानी.........................
वो खुद में मगन है, कुछ भी हो जाए शांत रहता उनका अनतर्मन है,
मौन में उसकी शांति का वास है, शोर मचाते है सब,
उसकी खामोशी में भी एक अलग बात है,
पहाड़ो और झरनों को जिसने खूबसूरती बख्शी,
उसको संतों ने संवारा है, चहचहाते पक्षी भी सुनाने लगे धुन राम नाम की,
ऐ सब संतों की ही माया है.......................
साधारण से दिखने वाले बड़े सूकुन में रहते है,
ना लोगों के बीच जाते है, ना किसी से राब्ता रखते है,
शान को ठोकर मार, शौक से दूरी बनाई है,
उन्होंने तो चार - दीवारी छोड़,
खुले आसमान में जन्नत बसाई है.............................
ना क्रोध करते है, ना अहंकार में जीते है,
खुद को मिट्टी समझ, ईश्वर की पूजा करते है,
नहीं बुलाते अपने पास कि कोई उन्हें सुनने आए,
भीड़ ही जाती है वहां शायद उनका काम बन जाएं...........................