नादान........................
ना शर्माते है, ना हिचकिचातें है,
बुरे - भले की समझ से परे,
हम दिल की बात कह जाते है,
शक्कर घोल ज़हर पिलाना नहीं आता,
हमें औरों की तरह बहलाना नहीं आता,
खुश है हम नादान हो कर ही,
समझदारी से दूर और छलावें से अलग जी कर ही................................
ज़्यादा जान लो तो ज़िन्दगी समझ में नहीं आती,
सवाल कितनें भी कर लो, मगर हल नहीं हो पाती,
ज़िन्दगी को खूबसूरत और खुद को खुश कहने वाले,
दिखावे में जी रहे है, नादान नहीं है हमारी तरह,
इसलिए अहंकार में जी रहे है...................................
नफा - नुकसान नहीं देखती नादानी,
ऐ काम तो अव्वल लोगों के लिए छोड़ रखा है,
वो लगाते रहे हिसाब उम्र भर, मुंशी बनकर,
हमें तो किसी मासूम हिसार ने कैद कर रखा है.........................
स्वरचित
राशी शर्मा