प्रत्येक व्यक्ति में गुण अवगुन दोनो होते है,
यह मनुष्य स्वभाव है | मगर ! जब आप हमेशा
यह मानकर चलते है कि एक नजर हर क्षण सोते -उठते, खाते पीते यहाँ तक की आपकी सोच को भी हर क्षण देख रही | वास्तव मे सत्य भी यही है , तब अनेको गल्तिया करने के पश्चात भी आपके अन्तर्मन की शुद्धता कभी नही जाती , क्योंकि आप उस दृष्टा के सामने होते है जिसे आप हर घड़ी किसी भी प्रकार से महसूस करते है |