ऐ बाबू,
तुम कहां ये दिल विल के चक्कर में पड़ गए,
लौट जाओ,
सिर्फ दर्द ही लिखा है इसके हर चौराहे पर,
तुम तो,
अभी हंसने खेलने की उम्र में हो,
कहां समझ पाओगे,
ये इश्क की बेमानियां,
ये दूर जाने की फितरत,
और दिल टूटने का गम,
लौट जाओ,
संभल जाओ,
अभी भी वक्त है,
फिर न कहना की समझाए नहीं थे......
-MUKESH JHA