स्नेह की परिभाषा ही बदल दी इस तस्वीर ने ....
आज के युग में जिसे आप आत्मीय प्रेम दोगे वही आप को निगल जाएगा।
विश्वास ही विष हैं .गलत नही कहा हैं कहने वालों ने ।
विकलांग हो गया हैं चरित्र ....पतन हो गया हैं सबंधो में अपनेपन का।
चूहा दिल से खेल रहा था मेडक दिमाग से खेल गया ,
-SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》