फिराक(खयाल)
बहोत बांते सुनी है लोगों से,
चलो आज उसकी गलियों में पहेरा लगाया जाए।
सुना है बहुत खूबसूरत हैं वो,
दुशवार है फिरभी उनको छू लिया जाए।
हुस्न तरासा है खुदाने बड़ी फुरसत से,
चलो, आज उसको भी चूम लिया जाए।
ना दिल रोक पाएगा अपनी चाहत ,
उठठे हैं जो "राल "दिलमे ,बस पी लिए जाए।
दर- ब - दर घूम रहे हैं उसकी गलियों में ,
गालिबन उसके दीदार में हम मर ना जाए।
हसरतें हैं दिलको सदाये "तरन्नुम"की,
न चाहे दिल किसी और को सुनना, तो क्या किए जाए?
चाहते "अशवा" नहीं हमें,
मरते दम तक एक उसकी ही चाह लिए जाए।
खिंचे जाते हैं अरमान "हुस्न ए बानिब",
अब दुसवार उसके रूह से हम ,तो क्या किए जाए?
महोब्बत के डर से नहीं हारे क्या?
तो फिर चलो, सुकून से मरहम किए जाए।
अब थक चुके हैं राहे इंतजार मैं,
चलो ,उसकी बाहों में सुकून लिए जाए ;
उसकी निगाहों को चूम लिए जाए।
#" माही