गुरु कौन है?
फूले न घटे, ऐसा मन कर दे,
विशुध्द सत्व ओजयुक्त, तन कर दे।
दुर्गुणों का शमन कर, पाप मुक्त कर दे,
हैं गुरु वो! जो कई मनों को,इक मन कर दे।।
अंधेरों को छांट, सर्वथा प्रकाश भर दे,
जीवन की रिक्तियों से, अवकाश हर ले।
चंञ्चल मनोवेगों को, स्थिर कर दे,
हैं गुरु वही! जो मानव में, ईश्वर भर दे।।
क्रमशः....✍️
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