महक रही मिट्टी की खूशबू,
भयी धूमिल-धूल उजियारी है।
बहक रहे मनभीत मीत,
होली-दीवाली आयी है।।
छुपे ओट हैं खोट सभी,
चहुंदिश हरियाली छाई है।
चहक रहीं चिड़ियों की चह-चह,
वर्षा ऋतु खुशियां लाई है।।
#रंग_खुशियों_के
#वर्षा_ऋतु
#मनउपवन
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111812865

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