मैं और मेरे अह्सास
खानाबदोश सी जिंदगानी है l
देश परदेश यही कहानी है ll
सालों बाद महफ़िल सजी हैं l
नई ताजा गजलें सुनानी है ll
गा रहा है जो प्रभात फेरी l
सुनले तेरी मेरी कहानी है ll
युगों तक खामोश रहे तेरे लिए l
अब बात दिल की बतानी है ll
आज किसी की परवाह नहीं हमे l
खुल्ले आम मुहब्बत जतानी है ll
११-५-२०२२
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह