खुद को रबड़ जैसा नरम मत बनाइए । दूसरों की ग़लतियाँ मिटाते - मिटाते एक दिन वह खुद ही मिट जाता है ।
ज़िंदगी सीमेंट - सी बनाइए क्योंकि सीमेंट एक बार जिससे जुड़ जाए तो मज़बूती से जोड़े रखती है । अगर कोई अहंकार में दूर जाना चाहे तो वह टूटकर बिखर ही जाता है ।