तमाशा बना रखा है तुने भी,क्या खूब ए-जिंदगी......
वफाएं शिकस्त खा, भटक रहीं हैं दर-बदर।।
चीरते सन्नाटे यहां,हैं शोर अधमरे पड़े।
किताब सी है तुझमें बड़े, हर्फ़! हैं भरे पड़े।।
#पीड़ा_मन_की
#दर्द_छलक_जाता_है
#दम_तोड़ती_हसरतें
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

Hindi Shayri by सनातनी_जितेंद्र मन : 111803180

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