कहता है इतिहास, जगत में, हुआ एक ही नर ऐसा।
रण में कुटिल काल - सम क्रोधी तप में महासूर्य - जैसा।।
मुख में वेद, पीठ पर तरकस, कर में कठिन कुठार विमल। शाप और शर, दोनों ही थे, जिस महान ऋषि के संभल।।
यह कुटीर है उसी महामुनि, परशुराम बलशाली का।
भृगु के परम पुनीत वंशधर, व्रती, वीर, प्रणपाली का।।
“परशुराम है प्रतीक प्यार का,
राम है प्रतीक सत्य सनातन का!
इस प्रकार परशुराम का अर्थ है,
पराक्रम के कारक और सत्य के धारक,
परशुराम जयंती की आप सभी को हार्दिक बधाई!!”