इतनी बंदिशें नहीं अच्छी,
बंदिशों में भला कौन रह पाया ?
परंपराओं का निर्वाहन है अनुकरणीय,
पर परंपराओं की बेड़ियाँ हैं सदा निंदनीय ।
खुले वितान में नित करता है जो विचरण
प्रतिपल स्वच्छंदता ही है जिसका आचरण
मत रोको उसे उड़ने से, तुम उसे खुला वितान दो
उसके नन्हे पंखों के प्रसार को एक नया आयाम दो