तुम बन्धू दीन दयाल प्रभु,
करुणामय परम् कृपाल प्रभु।
सुखकर्ता तुम्हीं दुखहर्ता हो,
हो भक्तन के प्रतिपाल प्रभु।।
नयनाभिराम तुम शीतल हो,
अविगत स्त्रोत अनस रस हो।
तुम गम्य ज्ञान अवकाश प्रभु,
जग पाप पंक तुम कंज प्रभु।।
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Hindi Poem by सनातनी_जितेंद्र मन : 111798768

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