बहुत कम लोग होते हैं जो किसी लेखक की हर किताब को पढ़े, मैं खुद भी ऐसा नहीं हूं। लेकिन कोई 'चार अधूरी बातें', 'फ़रेब का सफ़र' के बाद 'बेस्टसेलर' को भी मौका दे, तो ऐसे रीडर खास होते हैं। तो पढ़िये, क्या कहना है भावना कल्याणी का, "बेस्टसेलर" को पढ़ने के बाद!
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' बेस्टसेलर '
एक लेखक का लिखने को लेकर जूनून उससे क्या क्या नहीं करवाता और ख़ासकर तब जब उसे अपने रीडर्स को फिक्शन में भी रियलिटी का मज़ा देना हो ...
और जब लिखना ज़िद हो और केवल बेस्टसेलर बनना मक़्सद तो क्या हो सकता है ऐसे लेखक के साथ ???...
एक अलग ही मोड़ पर आकर खत्म होती हुई किताब ...वो होता है न एकदम अनएक्सपेटेड वाला मोड़ वो भी हिंदी में....
हिंदी में ऐसे एक्सपेरिमेंट बहुत ही कम हुए हैं पर शुरू से अंत तक बांधकर रखने वाला फिक्शन मिल जाये तो पैसा वसूल सौदा लगता है...'बेस्टसेलर' ऐसी ही किताब निकली... उसपर भाषा शैली बहुत ही सरल और सुगठित बिना किसी भटकाव और अननेसेसरी लाग लपेट के की एक बार पढ़ने बैठो तो 2 से 3 घण्टों में पढ़कर ही उठो ...एकदम पैसा वसूल टाइप❤️❤️
बहुत बहुत बधाई Abhilekh Dwivedi जी आगे भी ऐसे ही जमे रहिये।
Ps : खरीदकर पढ़ने से ऑटोग्राफ वाली बुक मिलने की ओप्पोर्चुनिटी मिस हो जाती है🤦♀️🤦♀️
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तो आप भी पढ़ लीजिये! अभी फ्री डिलीवरी भी है।