हाँ-ना
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हाँ-ना के शब्दों में लिपटा हुआ संसार है
दिल और दिमाग का ही एक एहसास है
चाहते है सभी ही बहुत कुछ करना यहाँ
हाँ-ना के बीच पर खड़ी हुई दीवार है ।
संशय रोक लेता है कुछ करने से
मन और दिमाग की होती है जंग
कभी हार कभी जीत करवट बदले
हाँ-ना के बीच ही फँसे सब झगड़े ।
आभा दवे
मुंबई