एक दिन उसकी डोली फूलों से सजाई जाएगी।
सात रंग के सपने बुनेगी मन ही मन मुस्कायेगी।
बाबा की दुलारी अम्मा की लाडली जो थी वो।
दहेज की खातिर उसको आग लगाई जाएगी।
कुछ दिन पापा-मम्मी ,भैया-भाभी सब मिल कर रोयेंगे।
समाज धिक्कारेगा परन्तु फिर यही प्रथा दोहराई जाएगी।
सच को झूठ और झूठ को सच का जामा पहनाया है।
पुरुष बनेगा सन्यासी और सीता घर से भगायी जाएगी।
तू क्यों खुश होता है क्यो जश्न मनाता है बन्दे।
आज मेरी तो कल आपकी बेटी जलाई जाएगी।
मैं भी अबीर गुलाल लगा के रंगों से धूम मचाऊंगा।
लोग खुशी से गले मिलेंगे जब कोई स्त्री जलाई जाएगी।
अर्जुन इलाहाबादी