ख़ामोश चेहरे पर बोलती आँखे है
वो इस क़दर उसे छुप छुप कर ताकते है...
उसको देखे बिना दिन की शुरुआत की है
एक झलक के वास्ते सुबह से शाम की है...
उसके ना दिखने पर साँसे थम सी गयी है
ना जाने उसकी भूख और प्यास कहॉं गयी है...
घंटो के इंतज़ार के बाद उसके आने की आहट हुई
दिल ज़ोर से धड़का शायद उसकी इबादत पूरी हुई...
चंद लम्हों के लिए सारा दिन गुज़ार दिया
बात करने की हिम्मत नहीं पर दिल मुस्कुरा दिया...
-स्मृति