तुम महफ़िल ख़त्म होने पर पूछा करते हो
और हम तुम्हारे बिना महफ़िल शुरू नहीं कर पाते...
बस कुछ ऐसी महोब्बत है तुमसे...
तुम्हें पाना नहीं है...
बस तुम्हारा हो कर रहना है...
तुम्हारी ख़ुशी से ख़ुश होना है
तुम्हारे दुःख में दुखी होना है...
तुमने बिना किसी चाहत के चाहना है...
बस कुछ ऐसी महोब्बत है तुमसे...
-स्मृति