आज गौरैया दिवस है । प्रस्तुत है कुछ पंक्तियाँ🙏🙏
पंछी
---------
मैं पंछी हूँ उस डाली का जिसको तुम काट रहे हो
हरी -भरी इस धरती को इमारतों में पाट हो
मैं तो चाहूँ प्यार सभी का इसलिए घर- घर इठलाऊँ
छोटे -छोटे दाने पाकर मैं संतुष्ट हो जाऊँ
इस डाली से उस डाली तक फुदक- फुदक कर इतराऊँ
नन्हे -नन्हे पर है मेरे छोटी सी एक चोंच है
चीं-चीं की आवाज से तुम सब को सुबह जगाऊँ
चाहूँ सब को मित्र बनाना प्रेम से गले लगाना
तुम सब के संग मिलकर जीवन अपना जी जाऊँ
एक निवेदन तुम सबसे है काटो न अब पेड़ों को
रहने दो इस धरा पर हरियाली चहुँओर
ताकि मैं पंछी अपने घोंसले में निश्चिंत होकर रह पाऊँ ।
आभा दवे
मुंबई
2)गौरैया
----------
घरों की रौनक है गौरैया
हिल मिलकर रहती गौरैया
कद छोटा लगती प्यारी
चीं चीं करती प्रीत जगाती गौरेया
आभा दवे
मुंबई